”पंजाब के सिखों और हिंदुओं को गुमराह कर उन्हें ईसाई बनाने की कोशिश की जा रही है और यह सब सरकार की नाक के नीचे हो रहा है.”
ये दोनों बयान अकाल तख्त के जत्थेदार ज्ञानी हरप्रीत सिंह के हैं, जो इस साल दो महीने के अंतराल में दिए गए हैं.
अकाल तख्त के जत्थेदार ज्ञानी हरप्रीत सिंह जिस समुदाय से सिख समुदाय को खतरा बता रहे हैं, उसकी आबादी पंजाब के डेढ़ फीसदी से भी कम है. 2011 तक इस समुदाय की जनसंख्या 3 लाख 48 हजार 230 थी.
पंजाब में धर्म परिवर्तन को लेकर बड़ा विवाद खड़ा हो गया है.
कहां से पैदा हुआ ताजा विवाद?
हाल ही में अमृतसर के गांव में ईसाई मिशनरियों का एक कार्यक्रम चल रहा था, जहां कुछ निहंग सिख पहुंचे और कार्यक्रम का विरोध करने लगे.
दो समुदायों के कुछ लोगों के बीच झड़प भी हुई और पुलिस ने 150 निहंगों के खिलाफ मामला दर्ज किया.
अकाल तख्त के जत्थेदार ने इसका कड़ा विरोध किया. उन्होंने कहा कि निहंग जबरन धर्मांतरण रोकने के लिए वहां गए थे.
एक अखबार को दिए इंटरव्यू में जत्थेदार ज्ञानी हरप्रीत ने यह भी कहा कि पंजाब के हालात ने हमें धर्म परिवर्तन के खिलाफ कानून लाने की मांग उठाने पर मजबूर कर दिया है.
उठते हैं कई सवाल
धर्मांतरण क्या है? धर्मांतरण कब आपत्तिजनक हो जाता है? धर्म परिवर्तन के बारे में संविधान क्या कहता है? इसको लेकर भारत में क्या कानून है और अगर कोई व्यक्ति अपना धर्म बदलना चाहता है तो उसके बारे में कानूनी प्रक्रिया क्या है?
भारत में प्रत्येक व्यक्ति को किसी भी धर्म को अपनाने का अधिकार है और वह किसी भी समय अपना धर्म बदल सकता है.
मान लीजिए अगर कोई सिख है और हिंदू धर्म अपनाना चाहता है, या ईसाई धर्म छोड़कर इस्लाम में जाना चाहता है, तो एक निश्चित प्रक्रिया और शिष्टाचार का पालन करके धर्म को बदला जा सकता है, इसे धर्मांतरण कहा जाता है.