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वर्षांत समीक्षा 2024: पशुपालन एवं डेयरी विभाग
पशुधन क्षेत्र भारत की कृषि अर्थव्यवस्था को लगातार सुदृढ़ कर रहा है; 2014 से यह 12.99 प्रतिशत चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर से बढ़ रहा है
सेक्स सॉर्टेड वीर्य तकनीक और स्वदेशी आईवीएफ प्रक्रिया; मवेशियों और भैंसों के आनुवंशिक सुधार के लिए गौ और महिष जीनोमिक चिप्स
राष्ट्रीय डेयरी विकास कार्यक्रम का लक्ष्य दस हजार नई डेयरी सहकारी समितियां गठित करना; प्रतिदिन 14.20 लाख लीटर दूध प्राप्त करना
पशुधन बीमा पर केंद्रित, राष्ट्रीय पशुधन मिशन लाभार्थियों को अब केवल 15 प्रतिशत प्रीमियम का भुगतान करना होगा
राष्ट्रीय पशु रोग नियंत्रण कार्यक्रम के अंतर्गत वर्ष 2030 तक खुरपका-मुंहपका रोग और बैक्टीरिया से होने वाली संक्रामक बीमारी ब्रुसेलोसिस के उन्मूलन का लक्ष्य रखा गया है, 99.71 करोड़ से अधिक टीकाकरण किए गए
सभी राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों में पशुधन और कुक्कुट के आंकड़े संग्रहण के लिए 21वीं पशुधन गणना चल रही है
- पशुधन क्षेत्र में वृद्धि
पशुधन क्षेत्र भारतीय अर्थव्यवस्था में कृषि का एक महत्वपूर्ण उप-क्षेत्र है। वर्ष 2014-15 से वर्ष 2022-23 तक यह 12.99% की चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर (CAGR) से बढ़ा है। कुल कृषि एवं संबद्ध क्षेत्र सकल मूल्य वर्धित (GVA) में पशुधन का योगदान वर्ष 2014-15 में 24.38% से बढ़कर वर्ष 2022-23 में 30.23% (प्रचलित मूल्यों पर) हो गया है। पशुधन क्षेत्र ने वर्ष 2022-23 में कुल जीवीए में 5.50% (वर्तमान मूल्यों पर) का योगदान दिया।
भारत दूध उत्पादन में पहले स्थान पर है और वैश्विक दूध उत्पादन में 24.76% का योगदान देता है। पिछले 10 वर्षों में दूध उत्पादन 5.62% की चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर (CAGR) से बढ़ रहा है, जो वर्ष 2014-15 के दौरान 146.31 मिलियन टन से बढ़कर वर्ष 2023-24 के दौरान 239.30 मिलियन टन हो गया है। वर्ष 2022 की तुलना में वर्ष 2023 (अनुमानित) के दौरान विश्व दूध उत्पादन में 1.50% की वृद्धि हुई है (खाद्य आउटलुक नवंबर 2024)। वर्ष 2023-24 के दौरान भारत में प्रति व्यक्ति दूध की उपलब्धता 471 ग्राम प्रतिदिन है, जबकि वर्ष 2023 (अनुमानित) में विश्व औसत 329 ग्राम प्रतिदिन है (खाद्य आउटलुक नवंबर 2024)।
खाद्य एवं कृषि संगठन कॉर्पोरेट सांख्यिकी डेटाबेस (FAOSTAT) उत्पादन डेटा (2022) के अनुसार, भारत अंडा उत्पादन में विश्व में दूसरे स्थान पर और मांस उत्पादन में 5वें स्थान पर है। देश में अंडा उत्पादन वर्ष 2014-15 में 78.48 बिलियन से बढ़कर वर्ष 2023-24 में 142.77 बिलियन हो गया है। देश में अंडा उत्पादन पिछले 10 वर्षों में 6.87% की चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर (CAGR) से बढ़ रहा है। वर्ष 2023-24 में प्रति व्यक्ति अंडे की उपलब्धता वर्ष 2014-15 में 62 अंडों की तुलना में 103 अंडे प्रति वर्ष है। देश में मांस उत्पादन वर्ष 2014-15 में 6.69 मिलियन टन से बढ़कर वर्ष 2023-24 में 10.25 मिलियन टन हो गया है। देश में मांस उत्पादन पिछले 10 वर्षों में 4.85% की चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर (सीएजीआर) से बढ़ रहा है।
पशुपालन और डेयरी योजनाएं: –
2. राष्ट्रीय गोकुल मिशन देशी नस्लों के विकास और संरक्षण तथा बोवाइन आबादी के आनुवंशिक उन्नयन पर विशेष बल देते हुए भारत सरकार द्वारा प्रारंभ किया गया। वर्ष 2024 के दौरान बोवाइन की उत्पादकता बढ़ाने के लिए इस योजना के तहत कई पहलें की गई हैं:
(i) देशी रूप से विकसित सेक्स सॉर्टेड वीर्य उत्पादन तकनीक का शुभारंभ दिनांक 5.10.2024 को माननीय प्रधानमंत्री द्वारा किया गया है। ये लिंग आधारित वीर्य उचित दरों पर उपलब्ध है। इस तकनीक का लक्ष्य 90 प्रतिशत सटीकता के साथ मादा बछड़े पैदा करना है, जिससे नस्ल सुधार और किसानों की आय में बढ़ोतरी होगी।
(ii) इन-विट्रो फर्टिलाइजेशन (आईवीएफ) के लिए देशी मीडिया का शुभारंभ दिनांक 13 सितंबर, 2024 को भुवनेश्वर में किया गया। स्वदेशी मीडिया प्रक्रिया में स्वदेशी नस्लों के विशिष्ट पशुओं के लिए महंगे आयातित मीडिया के विकल्प के तौर पर सस्ता प्रभावी मीडिया मिलता है।
(iii) गोपशु के लिए गउ चिप और भैंस के लिए महीष चिप कॉमन जीनोमिक चिप का शुभारंभ दिनांक 5.10.2024 को माननीय प्रधानमंत्री द्वारा किया गया है।
(iv) राष्ट्रीय दूध रिकॉर्डिंग कार्यक्रम को दूध पॉकेट/प्रजनन क्षेत्र में देशी नस्लों के उत्कृष्ट पशुओं की पहचान के लिए दिनांक 13.9.2024 को भुवनेश्वर से प्रारंभ किया गया है।
(v) पशुधन उत्पादों के लिए ट्रैसेबिलिटी प्लेटफॉर्म दिनांक 22 अक्टूबर 2024 को गुजरात से लॉन्च किया गया है। ये सभी पहल देश में बोवाइन आबादी के आनुवंशिक उन्नयन को नया आयाम देंगी। राष्ट्रीय गोपाल रत्न पुरस्कार पशुधन और डेयरी क्षेत्र में सर्वोच्च राष्ट्रीय पुरस्कारों में से एक है। इस वर्ष से, विभाग ने तीनों श्रेणियों में पूर्वोत्तर क्षेत्र (एनईआर) राज्यों के लिए एक विशेष पुरस्कार शामिल किया है। दिनांक 26 नवंबर, 2024 को दिल्ली में राष्ट्रीय दुग्ध दिवस की पूर्व संध्या पर 15 पुरस्कार विजेताओं को सम्मानित किया गया।
3. यह विभाग केंद्रीय क्षेत्र की योजना राष्ट्रीय डेयरी विकास कार्यक्रम (एनपीडीडी) का क्रियान्वयन कर रहा है, जिसका उद्देश्य दूध और दूध उत्पादों की गुणवत्ता, दूध की खरीद, प्रसंस्करण, मूल्य संवर्धन और विपणन को बढ़ाना है। यह योजना 19,010 डेयरी सहकारी समितियों के गठन/पुनरुद्धार, डेयरी सहकारी समितियों में 18.17 लाख नए किसानों को जोड़ने और 27.93 लाख लीटर प्रतिदिन दूध प्रसंस्करण क्षमता के सृजन में मददगार रही है। पशुपालन और डेयरी विभाग किसानों की संगठित बाजारों तक पहुंच बढ़ाकर, दूध प्रसंस्करण सुविधाओं और विपणन अवसंरचना को अपग्रेड करके तथा उत्पादक स्वामित्व वाले संस्थानों के क्षमता विकास को बढ़ाकर दूध और डेयरी उत्पादों की बिक्री बढ़ाने पर ध्यान क्रेंदित करता है। अब तक 1343.00 करोड़ रुपये की कुल परियोजना लागत के साथ 35 परियोजनाओं को अनुमोदन दिया गया है। परियोजना की समाप्ति तक 10,000 नए डीसीएस सृजित होंगे, लगभग 1.5 लाख किसान सदस्य जोड़े जाएंगे और प्रतिदिन 14.20 लाख लीटर दूध खरीदा जाएगा। डेयरी प्रसंस्करण और अवसंरचना विकास निधि (डीआईडीएफ) के तहत 12 राज्यों की 37 परियोजनाओं को संस्वीकृति दी गई है, जिनकी कुल परियोजना लागत 6777 करोड़ रुपये है और अब तक प्रतिदिन 73.95 लाख लीटर दूध प्रसंस्करण क्षमता सृजित की गई है। डेयरी सहकारी समितियों और किसान उत्पादक संगठनों (एसडीसीएफपीओ) को सहायता योजना पात्र भागीदार एजेंसियों (पीए) द्वारा बैंकों और वित्तीय संस्थानों से लिए गए कार्यशील पूंजीगत ऋण पर 2% प्रति वर्ष की ब्याज सबवेंशन प्रदान करती है।
4. राष्ट्रीय पशुधन मिशन (एनएलएम): इस योजना में रोजगार सृजन, उद्यमिता विकास, प्रति पशु उत्पादकता में वृद्धि और इस प्रकार मांस, बकरी के दूध, अंडे तथा ऊन के उत्पादन में वृद्धि को लक्षित करने पर बल दिया जाता है। दिनांक 21.02.2024 से ऊंट, घोड़े, गधे, खच्चर के विकास जैसे नए कार्यकलापों को शामिल करने के लिए योजना में संशोधन किया गया है। पहली बार इन पशुओं को व्यक्तिगत, एफपीओ, एसएचजी, जेएलजी, एफसीओ और धारा 8 कंपनियों के प्रोत्साहन के माध्यम से प्रजनक फार्मों की स्थापना के लिए शामिल किया गया है। हरे चारे की आवश्यकता को पूरा करने के लिए सामान्य चारागाह भूमि, डिग्रेडेड वन भूमि, बंजर भूमि और वन भूमि में चारा उत्पादन के लिए कार्यकलाप किए जाते हैं। इससे चारे की खेती क्षेत्रफल को बढ़ाने में मदद मिलेगी। केंद्र सरकार ने पशुधन बीमा कार्यक्रम को भी सुव्यवस्थित किया है। लाभार्थी द्वारा प्रीमियम योगदान का हिस्सा घटाकर 15 प्रतिशत कर दिया गया है जो पहले विभिन्न लाभार्थियों और अलग-अलग श्रेणी के राज्यों के लिए 20 प्रतिशत से 50 प्रतिशत के बीच था। अब लाभार्थी केवल 15 प्रतिशत प्रीमियम राशि देकर अपने पशुओं का बीमा करवा सकते हैं जबकि प्रीमियम की शेष राशि का भुगतान केंद्र सरकार और राज्य सरकार द्वारा सामान्य राज्यों के लिए 60:40 के आधार पर, उत्तर पूर्वी और हिमालयी राज्यों लिए 90:10 के आधार पर होगा जबकि केंद्रशासित प्रदेशों के लिए शत प्रतिशत प्रीमियम राशि केंद्र सरकार भरेगी। साथ ही, एक लाभार्थी द्वारा बीमा किए जाने वाले पशुओं की संख्या भी 5 गोपशु इकाई (1 गोपशु इकाई = एक बड़ा पशु या 10 छोटे पशु) से बढ़ाकर 10 गोपशु इकाई कर दी गई है। अब एक लाभार्थी 100 छोटे पशुओं और 10 बड़े पशुओं का बीमा कर सकता है। हालांकि, सुअर और खरगोश के लिए पशुओं की संख्या 5 गोपशु इकाई होगी। वर्तमान में, बीमा प्रतिशत केवल 0.98% है, सरकार ने देश में कुल पशु आबादी के 5% को शामिल करने की पहल की है।
वित्तीय प्रगति : वर्ष 2024-25 के दौरान 324 करोड़ रु. आवंटित किए गए हैं, जिनमें से अब तक 190 करोड़ रुपयों का उपयोग किया जा चुका है। अब तक पशुपालन और डेयरी विभाग द्वारा 2858 आवेदन अनुमोदित किए गए हैं और 1168 लाभार्थियों को सब्सिडी के रूप में 235.30 करोड़ रुपये जारी किए गए हैं।
5. पशुपालन अवसंरचना विकास निधि (एएचआईडीएफ): इस योजना की परिकल्पना व्यक्तिगत उद्यमियों, निजी कंपनियों, एमएसएमई, किसान उत्पादक संगठनों (एफपीओ) और धारा 8 कंपनियों द्वारा निवेश को प्रोत्साहित करने के लिए की गई है ताकि (i) डेयरी प्रसंस्करण और मूल्य संवर्धन अवसंरचना, (ii) मांस प्रसंस्करण और मूल्य संवर्धन अवसंरचना और (iii) पशु चारा संयंत्र (iv) नस्ल सुधार प्रौद्योगिकी एवं नस्ल वृद्धि फार्म (v) पशुचिकित्सा औषधि और टीका अवसंरचना तथा (vi) अपशिष्ट से संपत्ति प्रबंधन स्थापित किया जा सके। योजना की अवधि वर्ष 2023-24 तक थी, उसके बाद, इस योजना को वर्ष 2025-26 तक बढ़ा दिया गया था। योजना को दिनांक 01.02.2024 को संशोधित किया गया जिसमें डेयरी सहकारी समितियों को भी योजना के तहत लाभ प्राप्त करने हेतु शामिल किया गया है। इसके अलावा, डेयरी अवसंरचना विकास निधि (डीआईडीएफ) को एएचआईडीएफ में मिला दिया गया है और संशोधित परिव्यय अब 29610 करोड़ रुपये है। इस योजना के तहत 3% ब्याज सबवेंशन प्रदान किया जाता है और एक लाभार्थी द्वारा लिए जा सकने वाले क्रेडिट की उपलब्धता की कोई सीमा नहीं है। एमएसएमई के लिए ब्याज दर ईबीएलआर और 200 आधार अंक है। इस योजना के लिए 270 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं, जिसमें से 231.79 करोड़ रुपये का उपयोग किया गया है। अब तक 486 अनुमोदित परियोजनाओं में 13306.50 करोड़ रुपये के निवेश का लाभ उठाया गया है। सरकारी पहल के कारण डेयरी, मांस, पशु आहार की प्रसंस्करण क्षमता में 2-4% की वृद्धि हुई है।
6. पशुधन स्वास्थ्य और रोग नियंत्रण कार्यक्रम(एलएचडीसीपी) पशुधन रोगों को दूर करने और पशु चिकित्सा स्वास्थ्य देखभाल के लिए अवसंरचना को बढ़ाने हेतु कार्यान्वित किया है। इस पहल का उद्देश्य पशुधन की उत्पादकता बढ़ाना और किसानों, विशेष रूप से उन लोगों हेतु जो अपनी आजीविका के लिए पशुधन पर निर्भर हैं, की आय को बढ़ावा देना है। इस योजना के तहत प्राप्त उपलब्धियां निम्नानुसार हैं –
6.1 राष्ट्रीय पशु रोग नियंत्रण कार्यक्रम (एनडीसीपी): वर्ष 2019 में प्रारंभ यह कार्यक्रम विश्व स्तर पर अपनी तरह का सबसे बड़ा कार्यक्रम है, जो वर्ष 2030 तक एफएमडी और ब्रुसेलोसिस के उन्मूलन को लक्षित करता है। मवेशियों और भैंसों में खुरपका और मुंहपका रोग (एफएमडी) से बचाव के लिए अब तक 99.71 करोड़ से अधिक टीकाकरण किए गए हैं। इससे 7.18 करोड़ किसानों को लाभ मिला है। पेस्टे डेस पेटिट्स रुमिनेंट्स (पीपीआर) और क्लासिकल स्वाइन ज्वर (सीएसएफ) जैसे अन्य रोगों के लिए टीकाकरण अभियानों में भी काफी प्रगति देखी गई है, जिसमें लाखों टीकाकरण किए गए। एफएमडी टीकाकरण कवरेज को वर्ष 2024 में चरागाही (pastoral) भेड़ और बकरियों को भी शामिल करने के लिए विस्तारित किया गया है।
6.2 मोबाइल पशु चिकित्सा इकाइयाँ (एमवीयू): 28 राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों में 4016 एमवीयू कार्य कर रही हैं, जो टोल-फ्री नंबर 1962 के माध्यम से किसानों के द्वार पर पशु चिकित्सा सेवाएं प्रदान कर रहे हैं। इससे 62.24 लाख से अधिक किसान और 131.05 लाख पशु लाभान्वित हुए हैं। एमवीयू ने उत्पादक डेयरी पशुओं को पालने में किसानों के आत्मविश्वास को बढ़ाया है, डेयरी फार्मिंग को व्यावसायिक रूप से व्यवहार्य उद्यम में बदल दिया है।
6.3 पशु रोग नियंत्रण के लिए राज्यों को सहायता (एएससीएडी): लम्पी त्वचा रोग (एलएसडी) जैसे आर्थिक और जूनोटिक रूप से महत्वपूर्ण रोगों के लिए टीकाकरण हेतु वित्तीय और तकनीकी सहायता प्रदान की जाती है। वर्ष 2022 से लगभग 25.6 करोड़ गोपशुओं को एलएसडी के लिए टीका लगाया गया है और मामलों की संख्या वर्ष 2022 में 33.5 लाख घटी हैं और आज की स्थिति तक सिर्फ 47 सक्रिय मामले रह गए हैं।
7. पशुचिकित्सा शिक्षा के लिए महाविद्यालयों के नेटवर्क का विस्तार: देश में योग्य पशुचिकित्सकों की संख्या बढ़ाने के लिए, आईवीसी अधिनियम, 1984 के उपबंधों के तहत नए पशुचिकित्सा महाविद्यालय खोलने की अनुमति दी गई है। यह उल्लेख करना महत्वपूर्ण है कि पशुचिकित्सा महाविद्यालयों की संख्या वर्ष 2014 में 36 से बढ़कर वर्ष 2024 (अब तक) में 79 हो गई है जिनमें प्रवेश, नीट (NEET) स्कोर से लिए जाते हैं और काउंसलिंग की ऑनलाइन प्रणाली प्रारंभ की गई है।
8. पशुधन संगणना और एकीकृत नमूना सर्वेक्षण योजना:
8.1 एकीकृत नमूना सर्वेक्षण: दूध, अंडा, मांस और ऊन जैसे प्रमुख पशुधन उत्पादों (एमएलपी) के अनुमान तैयार करना। ये अनुमान विभाग के मूलभूत पशुपालन सांख्यिकी (बीएएचएस) के वार्षिक प्रकाशन में प्रकाशित किए जाते हैं। हाल ही में वर्ष 2023-24 की अवधि के लिये मूलभूत पशुपालन सांख्यिकी (बीएएचएस)-2024 प्रकाशित किया गया है।
8.2 पशुधन संगणना: 20वीं पशुधन संगणना वर्ष 2019 में सभी राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों के पशुपालन विभाग की भागीदारी के साथ आयोजित की गई थी और पशुधन की प्रजाति-वार और राज्य-वार आबादी वाली अखिल भारतीय रिपोर्ट “20वीं पशुधन संगणना – 2019” प्रकाशित की गई है। उपर्युक्त के अलावा, विभाग ने पशुधन और कुक्कुट (20वीं पशुधन संगणना के आधार पर) संबंधी नस्ल-वार रिपोर्ट भी प्रकाशित की है। 21वीं पशुधन संगणना दिनांक 25 अक्टूबर, 2024 को माननीय मंत्री एफएएचडी द्वारा शुरू की गई है। तब से, 21वें एलसी सॉफ्टवेयर के माध्यम से सभी राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों में पशुधन और पोल्ट्री पर डेटा एकत्र किया जा रहा है।
9. दुग्ध सहकारी समितियों और दुग्ध उत्पादक कंपनियों के डेयरी किसानों के लिये किसान क्रेडिट कार्ड (केसीसी): दिनांक 15.11.2024 तक, एएचडी किसानों के लिये 41.66 लाख से अधिक नए केसीसी संस्वीकृत किए गए।