HaridwarUTTRAKHANDदेश

सुप्रीम कोर्ट राज्यों के राज्यपालों को आपराधिक मुकदमे से छूट की समीक्षा करेगा

उत्तराखंड हरिद्वार शनिवार 20 जुलाई 2024

सुप्रीम कोर्ट संविधान के अनुच्छेद 361 के तहत राज्यपालों को छूट देने वाले प्रावधान की समीक्षा करने पर सहमत हो गया है | इस प्रावधान के तहत राज्यपालों को किसी भी तरह के आपराधिक मामलों से पूर्ण छूट हासिल है | सुप्रीम कोर्ट का यह आदेश पश्चिम बंगाल राज भवन में संविदा पर तैनात एक महिला कर्मचारी की याचिका पर आया है जिसने राज्यपाल  C V Anand Bose पर छेड़छाड़ राज भवन के अधिकारियों के उसे गलत तरीके से बंधक बनाए रखने का आरोप लगाया है |

मुख्य न्यायाधीश चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया जस्टिस  DY Chandrachud जस्टिस JB Pardivala और जस्टिस Manoj Mishra की पीठ में पश्चिम बंगाल राजभवन की महिला की याचिका पर पश्चिम बंगाल सरकार को नोटिस जारी किया है और याचिका करता को केंद्र सरकार की भी पक्षकार बनाने की इजाजत दी है | किडनी इस मामले से निपटने में अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमन से मदद करने को कहा है | महिला का नाम न्यायिक रिकॉर्ड से हटा दिया गया है | याचिका में कहा गया है कि अनुच्छेद 361 के खंड 2 के तहत राज्यपालों को दी गई छूट जांच पर रोक नहीं लगा सकती और वैसे भी ऐसे मामलों की जांच में समय का बहुत महत्व है |

पीठ ने आदेश में कहा है की याचिका में संविधान के अनुच्छेद 361 के खंड 2 के तहत राज्यपाल को दिए गए संरक्षण के दायरे से संबंधित मुद्दा उठाया गया है | यह अनुच्छेद राष्ट्रपति और राज्यपालों के संरक्षण से संबंधित है और इसका खंड दो कहता है कि राष्ट्रपति या किसी राज्य के राज्यपाल के कार्यकाल के दौरान किसी भी न्यायालय में उनके खिलाफ कोई भी आपराधिक कार्रवाई शुरू नहीं की जाएगी या जारी नहीं रखी जाएगी |

महिला याचिका करता ने राज्यपालों को आपराधिक अभियोजन से छूट प्रदान करने के संबंध में विशिष्ट दिशा निर्देश तैयार करने के निर्देश दिए जाने का आग्रह किया है |

याचिका में कहां गया है की अदालत को यह चेक करना है कि क्या याचिका करता जैसे पीड़िता के पास राहत पाने का कोई उपाय नहीं है जबकि एकमात्र विकल्प आरोपी के पद छोड़ने तक इंतजार करना है और सनी के दौरान यह देरी अतार्किक होगी और पूरी प्रक्रिया मैच दिखावा बंद कर रह जाएगी जिससे पीड़िता को कोई न्याय नहीं मिलेगा | याचिका करता ने तर्क दिया है कि कोई भी व्यक्ति कानून से ऊपर नहीं है और संविधानिक छठ की आड़ में राज्यपाल को किसी भी तरह से अनुचित तरीके से कार्य करने और लैंगिक हिंसा करने की अनुमति नहीं है | यह सीधे तौर पर संविधान के तहत याचिका करता सहित प्रत्येक व्यक्ति को दिए गए मौलिक अधिकारों पर आघात करता है |

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
×

Powered by WhatsApp Chat

×