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सिखों के तीसरे गुरु अमर दास जी दिव्य ज्योति में लीन हुए थे

रविवार 1 सितंबर 2024

आज ही के दिन 1 सितंबर 1574 को सिखों के तीसरे गुरु अमर दास जी दिव्य ज्योति में लीन हुए थे |

गुरु अमर दास जी का जन्म अमृतसर के ‘ बसर के ‘ गांव में पिता तेजभान एवं माता लक्ष्मी जी के घर हुआ था | गुरु अमरदास जी बड़े आध्यात्मिक चिंतक थे | वह दिन भर खेती और व्यापार के कार्यों में व्यस्त रहने के बावजूद हरि नाम का सिमरन करने में लगे रहते थे | लोगों ने भक्त अमर दास जी कह कर पुकारते थे |

एक बार उन्होंने अपनी पुत्रवधू से गुरु नानक देव जी द्वारा रचित एक ‘ शबद ‘ सुना | उसे सुनकर वह इतने प्रभावित हुए हैं की पुत्रवधू से गुरु अंगद देव जी का पता पूछ कर तुरंत उनके गुरु चरणों में आप विराजे | उन्होंने 61 वर्ष की आयु में अपने से 25 वर्ष छोटे और रिश्ते में समधि लगने वाले गुरु अंगद देव जी को गुरु बना लिया और लगातार 11 वर्षों तक एकाग्र मन से गुरु सेवा की |

सिखों के दूसरे गुरु अंगद देव जी ने उनकी सेवा और समर्पण से प्रसन्न होकर एवं उन्हें सभी प्रकार से योग्य जानकर गुरु गद्दी सौंप दी | इस प्रकार वे सिखों के तीसरे गुरु बन गए |

Report : Amit Kulshrestha

 

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